या तो हमें मुक्कमल चालाकियाँ सिखाई जायें जन्मदिवस बधाई शायरी, गिला शिकवा << शिकायत तो आज भी मुझे खुद ... कभी-कभी सोचता हूँ कि भूल ... >> या तो हमें मुक्कमल चालाकियाँ सिखाई जायें,नहीं तो मासूमों की अलग बस्तियां बसाई जायें ! Share on: